मौजूदा समय में जम्मू-कश्मीर का चतुर्दिक विकास हुआ- अधोक्षजानंद

मथुरा। पूर्वाम्नाय गोवर्धन पुरी पीठाधीश्वर जगद्गुरु शंकराचार्य अधोक्षजानंद देवतीर्थ ने जम्मू-कश्मीर के चतुर्दिक विकास पर प्रसन्नता व्यक्त की है। इसके लिए उन्होंने वहां के उपराज्यपाल मनोज सिन्हा के विजन की जमकर तारीफ की है। शंकराचार्य स्वामी अधोक्षजानंद देवतीर्थ जम्मू-कश्मीर की चार दिवसीय यात्रा पूर्ण कर गोवर्धन स्थित आद्य शंकराचार्य आश्रम में पहुंचे हैं। उन्होंने बताया कि जम्मू-कश्मीर के विभिन्न क्षेत्रों में वर्ष 1997 से वह लगातार भ्रमण करते रहे हैं। पिछले तीन साल में वहां भौतिक विकास के साथ-साथ संस्कृत भाषा और संस्कृति का अभूतपूर्व विस्तार हुआ है। शांतिपाठ और वेदमंत्रों की गूंज राज्य में सुनाई दे रही है। राष्ट्र बिरोधी शक्तियों का दमन हुआ। देश की अंतिम सीमा तक सड़कों का जाल बिछ गया और निर्भयता का वातावरण कायम हुआ। जगद्गुरु ने बताया कि जम्मू-कश्मीर की पावन भूमि आद्य शंकराचार्य की साधना स्थली रही है। इसी भूमि में प्रत्यभिज्ञान दर्शन के संस्थापक आचार्य अभिनव गुप्त, महाकबि कल्हण, महाकवि बिल्हड, सहित अनेक प्राचीन संस्कृत मनीषियों का उद्भव हुआ है। महामहिम उपराज्यपाल श्री मनोज सिन्हा जी के अथक प्रयासों से राज्य के विश्वविद्यालयों में अब संस्कृत और भारतीय दर्शन पढ़ाया जा रहा है। वहां चूड़ामणि संस्कृत संस्थान बसोहली, और श्री कैलख ज्योतिष एवं वैदिक संस्थान ट्रस्ट जैसे संस्थान संस्कृत भाषा और वैदिक साहित्य के विस्तार के लिए अच्छा प्रयास कर रहे हैं। उन्होंने बताया कि जम्मू-कश्मीर सरकार और विभिन्न संस्थानों के प्रयास से वहां के लोगों में संस्कृत और वैदिक साहित्य के प्रति रुचि भी बड़ी तेजी के साथ बढ़ रही है, जो सनातन धर्म के विस्तार और राष्ट्र की सम्प्रभुता के लिए शुभ संकेत है। जम्मू-कश्मीर की प्रसिद्ध श्री कैलख ज्योतिष एवं वैदिक संस्थान ट्रस्ट जम्मू ने हाल ही में अपना 11वां स्थापना दिवस मनाया है । इस समारोह की अध्यक्षता शंकराचार्य अधोक्षजानंद देवतीर्थ ने की है और राज्य के उपराज्यपाल मनोज सिन्हा कार्यक्रम में बतौर मुख्य अतिथि उपस्थित रहे। संस्थान के अध्यक्ष महंत रोहित शास्त्री ने जगद्गुरु का अभूतपूर्व स्वागत किया। इस यात्रा के दौरान शंकराचार्य देवतीर्थ ने वहां के तमाम संगठनों के प्रतिनिधियों से मुलाकात की और माता वैष्णव देवी का दर्शन व पूजन भी किये। इस दौरान उन्होंने जम्मू-कश्मीर के सांस्कृतिक और आध्यात्मिक विकास की कामनाएं की। गोवर्धन स्थित आद्य शंकराचार्य आश्रम में कुछ घंटे के प्रवास के बाद जगद्गुरु शंकराचार्य नेपाल के लिए प्रस्थान कर गये। वह वहां जनकपुर धाम में आयोजित श्री सीताराम विवाहोत्सव में भाग लेंगे।

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