केजरीवाल की ईडी रिमांड से चल रही सरकार

आबकारी नीति से जुड़े धनशोधन मामले में गिरफ्तार दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को ईडी की हिरासत से कोई आदेश देने से रोकने की मांग को लेकर हाई कोर्ट का दरवाजा खटखटाया गया है। हाई कोर्ट में दायर याचिका में मांग की गई है कि हिरासत के दौरान मुख्यमंत्री केजरीवाल को टाइपिस्ट, कंप्यूटर, प्रिंटर आदि मुहैया न कराए जाएं।
इस बीच दिल्ली के उपराज्यपाल ने कहा है कि दिल्ली सरकार जेल से नहीं चलेगी। इससे पहले केजरीवाल राष्ट्रीय राजधानी के मोहल्ला क्लीनिक और अस्पतालों में दवाओं और जांच की सुविधा की कमी को दूर करने के लिए ईडी हिरासत में रहते हुए निर्देश जारी कर चुके थे। इस बाबत जानकारी दिल्ली के स्वास्थ्य मंत्री सौरभ भारद्वाज ने दी तो इस पर तत्काल तीव्र प्रतिक्रिया हुई। सुरजीत सिंह नाम का एक व्यक्ति तो इसके खिलाफ हाई कोर्ट में जा पहुंचा और याचिका दायर करते हुए मांग की कि मुख्यमंत्री केजरीवाल को मुख्यमंत्री के रूप में हिरासत में रहते हुए दायित्व निर्वहन से रोका जाए। बहरहाल, यह मसला आपराधिक से ज्यादा राजनीतिक और संवैधानिक संकट का सबब बना दिखलाई पड़ रहा है। हाई कोर्ट से जो भी फैसला आएगा उसका प्रतिवाद करते हुए संबंधित पक्ष यकीनन सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाएंगे। इस बीच, तमाम विशेषज्ञ इस मामले में अपनी-अपनी सलाह देने में मशगूल हैं। कुछ कह रहे हैं कि केजरीवाल मुख्यमंत्री के पद से इस्तीफा देकर किसी को अपनी जगह नामजद कर सकते हैं। वैसा लालू प्रसाद यादव ने राबड़ी देवी को नामजद करके किया था। हाल में झारखंड में हेमंत सोरेन के जेल जाने के बाद उनकी पार्टी ने किसी अन्य व्यक्ति को मुख्यमंत्री चुन लिया था। पर लगता नहीं कि केजरीवाल भी कुछ ऐसा ही करने वाले हैं। दरअसल, वे इसे राजनीतिक रूप से गरमा कर माइलेज लेने की कोशिश करेंगे। चुनावी वेला है, सो वे इस तरफ ज्यादा दे रहे हो सकते हैं। बिना इस्तीफा दिए ईडी की रिमांड में रहते हुए मुख्यमंत्री के रूप में कामकाज करना चाहेंगे। हालांकि इसमें व्यावहारिक दिक्कतें तमाम होंगी। विशेषज्ञों के मुताबिक, केंद्र के पास दिल्ली में राष्ट्रपति शासन लगाने का भी विकल्प रहेगा लेकिन केंद्र इस विकल्प को आजमाने से बचना चाहेगा। पहली बार है जब किसी मुख्यमंत्री ने हिरासत में रहते हुए सरकार चलाने का रास्ता चुना हो।

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