प्रयागराज। इलाहाबाद विश्वविद्यालय में रविवार को पुरा छात्र सम्मेलन (एलुमनाई मीट), ‘फ़ैमिलियर फेसेस फीएस्टा’ के दूसरे दिन सुप्रसिद्ध कवि कुमार विश्वास सहित अन्य कवियों ने समां बांध दिया। कवि कुमार विश्वास ने जैसे ही अपनी प्रस्तुति शुरू की, तो दर्शकों ने तालियों से स्वागत किया। इस मौके पर डॉ. कुमार विश्वास ने कहा कि आज इस मंच पर खड़ा होकर यह सोचकर मैं एक विशेष स्पंदन से भर गया हूं कि इसी प्रांगण में कभी फिराक, कभी मदन मोहन मालवीय, कभी हरिवंश राय बच्चन, कभी महादेवी वर्मा तो कभी धर्मवीर भारती घूमा करते होंगे। उन्होंने पुरा छात्र सम्मेलन के सुअवसर पर कवि सम्मेलन करवाने के लिए विश्वविद्यालय की कुलपति प्रो. संगीता श्रीवास्तव का विशेष आभार व्यक्त किया। यहां का एक-एक एलुमनाई एक विश्वविद्यालय के समान है। इलाहाबाद विश्वविद्यालय जैसे शिक्षा के केद्रों से ही भारत का निर्माण होता है। इलाहाबाद विश्वविद्यालय न केवल भाषा, ज्ञान, विज्ञान, आध्यात्म और साहित्य का एक महत्वपूर्ण रहा है बल्कि छात्र राजनीति का भी एक उदभव केंद्र रहा है। अपनी कविता ‘मैं अपने गीत-गजलों से…….कोई कल कह रहा था, तुम इलाहाबाद रहते हो’ के माध्यम युवा दिलों को टटोला। ‘कोई दीवाना कहता है, कोई पागल समझता है…’ के माध्यम से खूब तालियां बटोरीं। कवि डॉ. राजीव राज ने कहा कि कुंभ की नगरी में होने वाला यह पुरा छात्र सम्मेलन स्वयं में कुंभ जैसा है जहां वर्षों से बिछड़े साथी एक-दूसरे से मिले हैं। उन्होंने ‘यादें झीनी रे’ गीत से सभी श्रोताओं को मंत्रमुग्ध कर दिया। वहीं, कविता ‘मोहल्ले भर का एक कुंआ’ से सभी को अपने युवास्था में दोबारा पहुंचा दिया। वहीं, जबलपुर से आए सुदीप भोला ने अपनी कविता ‘गौरेया ने अब बागों में आना छोड़ दिया है’ के माध्यम से एक पिता के दर्द को बयां किया और बेटियां को सुरक्षा की चिंता व्यक्त की। बाराबंकी से आए कवि गजेंद्र प्रियांशू ने अपनी कविता ‘इतने निर्मोही कैसे सजन हो गए’ के माध्यम से विदेशों में कमाने गए पुरूषों के बाद घरों में महिलाओं की दर्द बयां किया। इसके साथ ही राजनीतिक व्यंग भी किया। इस दौरान कविता तिवारी ने ’जब तक ये चांद चकमे तब-तक ये हिंदुस्तान रहे’ के माध्यम से राष्ट्रप्रेम के प्रति प्रेरित किया। वहीं, ‘जिम्मेदारियों का बोझ परिवार पर पड़ा तो….’ के माध्यम से महिलाओं का उत्साहवर्धन किया।
संगम तट पर नौका विहार और विज्ञान संकाय में हैरिटेज वॉक
इससे पहले रविवार सुबह पुरा छात्रों को संगम तट पर नौका विहार करवाया गया। वीआईपी तट से नौकाओं पर सवार होकर पुरा छात्रों ने संगम तट और सरस्वती घाट तक नौका विहार का आनंद लिया। इसके बाद पुरा छात्रों ने विज्ञान संकाय में आयोजित हैरिटेज वॉक में हिस्सा लिया। इस दौरान उन्होंने विजयनगरम् हॉल सहित अन्य ऐतिहासिक इमारतों का भ्रमण किया।
निराला कला ग्राम में कला प्रदर्शिनी एवं फूड फेस्टिवल ने लुभाया
निराला आर्ट गैलरी में प्रो. अजय जेटली के निर्देशन में फूड कोर्ट और कला एवं शिल्प प्रदर्शनी लगाई गई। इसमें एलुमनाई ने विद्यार्थियों की ओर निर्मित कई लजीज व्यंजनों का लुत्फ उठाया। वहीं, विद्याथिर्यों द्वारा निर्मित पेंटिंग, मूर्तियों एवं हस्तशिल्प की वस्तुओं ने दर्शकों को खूब लुभाया। दृश्य कला विभाग के अध्यक्ष प्रो. अजय जेटली ने बताया कि प्रदर्शनी में करीब 25 फूड स्टॉल लगी हैं। इसके साथ ही हस्त कला से निर्मित कई वस्तुएं उचित मूल्य पर विक्रय के लिए उपलब्ध हैं।ओपन माइक में पुरा छात्रों ने साझा किए अपने अनुभव शाम को ईश्वर टोपा भवन में पुरा छात्रों ने विश्वविद्यालय की सांस्कृतिक विरासत, स्रजनात्मक लेखन, लीडरशिप स्किल और अपने शिक्षकों आदि विषयों पर अपने अनुभव साझा किए। इस दौरान आइआरएस अधिकारी वीरेंद्र ओझा ने कवि गोपालदास नीरज को याद किया। संस्कृति विभाग के पूर्व अध्यक्ष प्रो. हरिदत्त शर्मा ने कवियित्री महादेवी वर्मा के सानिध्य भरे पलों को याद किया और विश्वविद्यालय में हो रहे सांस्कृतिक कार्यक्रमों की महत्ता पर प्रकाश डाला। पूर्व आइएएस अधिकारी डॉ. प्रमोद कुमार अग्रवाल ने एएन झा हास्टल में होने वाले वार्षिक महोत्सव के महत्व पर प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि ऐसे कार्यक्रमों का वे प्रतिवर्ष इंतजार करते थे। पुरा छात्र अरुण कुमार सिंह ने बरगद लॉन में उस दौरान हुए कवि सम्मेलन की स्मृतियों को याद किया। साथ ही सर गंगाराम झा हॉस्टल में सुधार के लिए सहयोग करने का आश्वासन दिया। वहीं, राष्ट्रपति भवन से ऑनलाइन जुड़े अधिकारी सुनील त्रिवेदी ने लीडरशिप स्किल के महत्व को बताया। उन्होंने कहा कि इलाहाबाद विश्वविद्यालय में शिक्षण के दौरान विकसित हुई लीडरशिप स्किल का उन्हें पूरे जीवन में बहुत लाभ हुआ है। साथ ही कहा कि इलाहाबाद विश्वविद्यालय विश्व के बेहतरीन विश्वविद्यालयों में से एक है। हाईकोर्ट के वकील एवं पुरा छात्र भरतलाल शर्मा ने भारतीय संस्कृति की तारीफ करते हुए कहा कि विश्व को लोकतंत्र तो भारत ने ही दिया है। यहां पर राजा भरत ने अपने पुत्रों को राजपाठ न देकर जनता में से एक प्रतिनिधि चुनकर उसे राजा बनाया था। यह लोकतंत्र को स्थापित करने का विश्व का सबसे पहला प्रयास था। विज्ञान संकाय के पूर्व डीन प्रो. कृष्ण कुमार ने अपने संबोधन में पूर्व के सभी प्रमुख कुलपतियों एवं उनके विशिष्ट गुणों के बारे में सभी को अवगत करवाया। प्रयागराज एवं बनारस के पोस्ट मास्टर जनरल एवं पुरा छात्र कृष्ण कुमार यादव ने अपने संबोधन में कहा कि इलाहाबाद विश्वविद्यालय रूपी वट वृक्ष ने ही उन्हें शिक्षा, संस्कार एवं आत्मनिर्भर होने का पाठ पढ़ाया है। सेल्स टैक्स के कमिश्नर रहे और पुरा छात्र डीपी सिंह ने यूनिवर्सिटी के हॉस्टल की दशा सुधारने में यथासंभव सहयोग का आश्वासन दिया। पुरा छात्र डॉ. तेज प्रकाश और डॉ. राजकुमार पांडे ने कविताओं के माध्यम से विश्वविद्यालय के गौरवमयी इतिहास का वर्णन किया। कई अन्य वाक्ताओं ने भी अपने विचार रखे। इस अवसर पर कुलपति प्रो. संगीता श्रीवास्तव ने कहा कि विश्वविद्यालय में शिक्षकों की कमी को पूरा कर लिया गया है। नए भवनों का निर्माण हुआ है और पुराने भवनों को ठीक करवाकर रंगरोगन किया गया है। उन्होंने दोहराया कि उनका प्रयास रहेगा कि यूनिवर्सिटी की शिक्षण व्यवस्था को बुलंदियों पर पहुंचाया जा सके। उन्होंने हॉस्टलों की हालत सुधारने के लिए अपने एलुमनाई से सहयोग की अपील की। उन्होंने कहा कि विश्वविद्यालय के कई पुरा छात्र मंत्रालयों में ऊंचे पदों पर बैठे हैं, जो जिस प्रकार मद्द कर सकता है, विश्वविद्यालय के प्रयास में हमें सहयोग करे। मंच संचालन प्रो. जया कपूर ने किया।