प्रयागराज। विकास खण्ड भगवतपुर में इलाहाबादी अमरूद को पुनर्जीवित करने की रणनीतियों पर परियोजना शुभारंभ श्यामा प्रसाद मुखर्जी रूर्बन मिशन-एक्यूवेसन सेन्टर में हुआ। उत्तर प्रदेश कृषि अनुसंधान परिषद, केन्द्रीय उपोष्ण बागवानी संस्थान रहमान खेड़ा, लखनऊ एवं उद्यान एवं खाद्य प्रसंस्करण विभाग ने प्रतिभाग लिया। कार्यशाला की अध्यक्षता केन्द्रीय उपोष्ण बागवानी संस्थान के विभागाध्यक्ष एवं वरिष्ठ वैज्ञानिक डा0 कुन्दन किशोर ने बताया कि अमरूद के बाग के रख-रखाव सिंचाई, गुड़ाई, निराई एवं रोग, रोग का निदान, कीटनाशक का उपयोग, फसल प्रबन्धन आदि पर चर्चा की गयी। तत्पश्चात कृषकों को नवीन उद्यान रोपण, पुराने बागों का रख-रखाव, अनउत्पादक बागों का जीर्णोद्धार एवं फसल तुड़ाई उपरान्त प्रबन्धन पर विषय विशेषज्ञ वैज्ञानिकों एवं विभागीय अधिकारियों द्वारा तकनीकी जानकारी प्रदान की गयी। मुख्य अतिथि उत्तर प्रदेश कृषि अनुसंधान परिषद के उपनिदेशक डा0 संजीव कुमार ने अमरूद की बागवानी के बारे में विस्तृत जानकारी दी गयी तथा उत्तर प्रदेश कृषि अनुसंधान परिषद एवं केन्द्रीय उपोष्ण बागवानी संस्थान रहमानखेड़ा, लखनऊ के समन्वित प्रयासों से इलाहाबादी अमरूद को पुनर्जीवित करने की रणनीतियों पर विस्तृत चर्चा की गयी तथा अन्र्तविभागीय समन्वय के माध्यम से अमरूद की बागवानी को बढावा देने, पुराने बागों के जीर्णोद्धार हेतु प्रयास किये जाने का आह्वाहन किया गया।
उपनिदेशक उद्यान प्रयागराज कृष्ण मोहन चौधरी द्वारा विस्तार से इलाहाबादी सफेदा, सुर्खा अमरूद के उत्पादन की तकनीकी एवं जी0आई0 टैग के सम्बन्ध में जानकारी दी। जिसमें फसलों में लगने वाले रोग एवं कीटों जैसे उकठा, जड़ ग्रन्थि, एन्थ्रक्नोज, फाइटोफ्थोरा फल-सड़न एवं फल कैंकर जैसी बिमारीयों के लक्षण उनकी निदान हेतु दवा के प्रयोग के विषय में बताया गया साथ ही कीटो जैसे फल मक्खी से बचाव हेतु फिरोमाइन टैªप के प्रयोग, अमरूद के फलों की गुणवत्ता बढाने हेतु फलों की बैगिंग करने की जानकारी प्रदान की गयी। विपणन की फलों की बाजार मूल्य में वृद्धि हेतु ग्रेडिंग एवं पैकिंग पर विषेष ध्यान दिया जाये। केन्द्रीय उपोष्ण बागवानी संस्थान के वैज्ञानिक कुन्दन किशोर द्वारा अमरूद के सघन बागवानी हेतु कृषकों को प्रेरित किया। जिससे कम क्षेत्रफल में अधिक पौधे लगाकर फसल के उत्पादन को दोगुना से तिगुना किया जा सके। सघन बागवानी के प्रबन्धन हेतु समय≤ पर पौधों के प्रूनिंग, छत्रक प्रबन्धन, पोषण प्रबन्धन एवं जल प्रबन्धन हेतु सुझाव दिया। कृषकों को इलाहाबादी सफेदा, सुर्खा अमरूद के साथ ही अन्य नवीन प्रजातियाँ जैसे-श्वेता, लालिमा, ललित आदि के पौधे लगाने की सलाह दी गयी। जिला उद्यान अधिकारी प्रयागराज उमेश चन्द्र उत्तम द्वारा बताया गया कि बागों में सिंचाई हेतु ड्रिप का उपयोग करें। जिससे सिंचाई के समय एवं पानी के बचत के साथ-साथ अमरूद में लगने वाले उकठा रोग से भी बचा जा सकता है। अमरूद की बागवानी करने एंव पुराने बागों की जीणोद्धार हेतु भी पर कृषकों को विभाग द्वारा अनुमन्य अनुदान के बारे में जानकारी प्रदान की। इस अवसर पर विकास खण्ड भगवतपुर के सहायक विकास अधिकारी (सहकारिता), सहायक विकास अधिकारी (कृषि), कृषि विज्ञान केन्द्र कौशाम्बी के वैज्ञानिक जितेन्द्र कुमार, प्रगतिशील कृषक मुन्नु पटेल द्वारा भी बागवानी से सम्बन्धित अपने विचार रखें। डा0 के0के0 श्रीवास्तव ने धन्यवाद ज्ञापन करते हुए कार्यशाला का समापन किया गया।