डा० बिपिन पाण्डेय
भारतीय जनता पार्टी ने अपना देशव्यापी सदस्यता अभियान सुरू किया, इसे संगठन पर्व 2024 नाम दिया गया है, सदस्यता किसी भी राजनीतिक दल का प्राण हुआ करती है। यह सदस्यता अभियान 2 सितम्बर 2024 को सायं 5 बजे भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा द्वारा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को डिजिटल माध्यम से 8800002024 नंबर पर मिस्डकाल करके सदस्य बनाकर शुरू किया गया। भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) का सदस्यता अभियान पार्टी के विस्तार और जनसमर्थन को बढ़ाने के लिए एक प्रमुख पहल है। यह अभियान पार्टी की जड़ों को मजबूत करने, नए समर्थकों को जोड़ने और पार्टी की विचारधारा को व्यापक स्तर पर फैलाने का एक महत्वपूर्ण साधन है। भाजपा 2024 के सदस्यता अभियान का ध्येय वाक्य है -सशक्त भाजपा , विकसित भारत । भाजपा ने सदस्यता के लिए डिजिटल प्लेटफॉर्म का भी उपयोग किया है, जिससे लोग ऑनलाइन पंजीकरण कर सकते हैं। यह प्रक्रिया सरल और सुलभ है, जिसमें एक मिस्ड कॉल देकर या ऑनलाइन फॉर्म भरकर सदस्य बना जा सकता है। 2014 के बाद, जब नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में भाजपा ने केंद्र में सरकार बनाई, पार्टी ने सदस्यता अभियान को बड़े पैमाने पर बढ़ावा दिया। 2015 में, भाजपा ने अपने “सबसे बड़े सदस्यता अभियान” का आयोजन किया, जिसमें पार्टी ने 10 करोड़ से अधिक सदस्यों को जोड़ने का लक्ष्य रखा था। राजनीति में शुरुआत सदस्य बनने से होती है, क्रमश: सदस्य से प्रतिबद्ध कार्यकर्ता बनते हैं और कार्यकर्ता से समर्पित नेता बनते हैं।समर्पित नेता किसी भी राजनीतिक दल की पूँजी हुआ करता है ।
भाजपा ने 2014, 2020 और 2022 में भी सदस्यता अभियान चलाया, जिसमें पार्टी ने नए सदस्यों को जोड़ने और पुराने सदस्यों को पुन: सक्रिय करने पर ध्यान केंद्रित किया। यह अभियान विशेष रूप से युवाओं, महिलाओं, और अनुसूचित जाति/जनजाति के लोगों को पार्टी से जोड़ने के उद्देश्य से चलाया गया था। भाजपा के सदस्यता अभियान में विशेष रूप से गांवों, कस्बों और दूरदराज के क्षेत्रों में पहुंचने का प्रयास किया जाता है। इसके लिए पार्टी के कार्यकर्ता जमीनी स्तर पर लोगों से मिलते हैं और उन्हें पार्टी की विचारधारा के प्रति जागरूक करते हैं।
पार्टी के वरिष्ठ नेता और कार्यकर्ता इस अभियान का नेतृत्व करते हैं, जो जनसंपर्क अभियान चलाकर लोगों को भाजपा की विचारधारा और नीतियों से अवगत कराते हैं।भाजपा की संविधान की धारा 4 में पाँच निष्ठाएँ दी हुई हैं- राष्ट्रवाद और राष्ट्रीय एकात्मकता, लोकतंत्र, शोषणमुक्त और समतामूलक गांधीवादी दृष्टिकोण,धर्मनिरपेक्षता और सर्वपन्थ सद्भाव, मूल्य आधारित राजनीति । भाजपा का सदस्यता अभियान पार्टी के संगठनात्मक ढांचे को मजबूत करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। यह पार्टी को न केवल चुनावी सफलता दिलाने में मदद करता है, अपितु पार्टी के विभिन्न स्तरों पर नेतृत्व को भी तैयार करता है।
किसी भी राजनीतिक दल की शक्ति का आँकलन उसके सदस्यों की संख्या, संसदीय प्रतिनिधित्व, और जनता में समर्थन के आधार पर किया जाता है। भारतीय जनता पार्टी की सदस्य संख्या इसके पूर्व लगभग 180 मिलियन (18 करोड़) से अधिक थी,यह संसार का सबसे बड़ा कार्यकर्ता आधारित दल था। इसी के कारण 2014 ,2019 और 2024 के भारतीय आम चुनावों में भाजपा ने बड़ी जीत हासिल की,
पूर्व में सदस्यता अभियानों के माध्यम से पार्टी ने करोड़ों नए सदस्यों को जोड़ा है। भाजपा की विचारधारा सांस्कृतिक राष्ट्रदर्शन,एकात्म मानववाद और अंत्योदय रही है और इसकी नीतियां केंद्र में प्रचलित भारतीय संस्कृति और परंपराओं को संरक्षित करने पर केंद्रित हैं। मार्क्सवादी लेनिनवादी माओवादी विचारधारा वाली चीन की कम्युनिस्ट पार्टी 98 मिलियन (9.8) करोड़ कार्यकर्ताओं के साथ यह दुनिया की दूसरी सबसे बड़ी राजनीतिक पार्टी है। भाजपा अपने 2 संकल्पों पर कार्य कर रही है- 1-सबका साथ, सबका विकास, सबका विश्वास और सबका प्रयास 2- आत्मनिर्भर भारत । भारतीय जनता पार्टी का इतिहास संघर्ष, आंदोलन, और राजनीतिक रणनीति का मिला-जुला परिणाम है। जनसंघ से भाजपा तक का सफर पार्टी के नेतृत्वकर्ताओं की कुशलता और विचारधारा की ताकत का प्रतीक है। अटल बिहारी वाजपेयी से नरेंद्र मोदी तक, भाजपा ने भारतीय राजनीति में एक महत्वपूर्ण स्थान हासिल किया है और आज यह पार्टी देश के राजनीतिक परिदृश्य पर प्रमुखता से बनी हुई है ।स्वाधीनता दिवस पर प्रधानमंत्री मोदी ने लाल क़िले से यह कहा था कि वह एक लाख ऐसे युवाओं को राजनीति में लाना चाहते हैं जिनके परिवार को कोई भी सदस्य राजनीति में न हो। भाजपा और कम्युनिस्ट पार्टी के अलावा अधिकतर राजनीतिक दल परिवारवाद से पीड़ित है।
भाजपा अध्यक्षीय परम्परा का राजनीतिक दल है इसके राष्ट्रीय अध्यक्षों ने पार्टी के विकास और भारतीय राजनीति में इसके उदय में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है, अटल बिहारी वाजपेयी भाजपा के पहले राष्ट्रीय अध्यक्ष 1980-1986 तक थे। उन्होंने पार्टी के गठन के बाद इसके नेतृत्व की जिम्मेदारी संभाली। उनके नेतृत्व में भाजपा ने अपनी राजनीतिक पहचान बनाई और राष्ट्रव्यापी विस्तार की नींव रखी। लालकृष्ण आडवाणी 1986-1991, 1993-1998, 2004-2005 ने भाजपा को एक प्रमुख राष्ट्रीय राजनीतिक पार्टी के रूप में स्थापित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। उनके कार्यकाल के दौरान पार्टी का जनाधार बढ़ा और राम जन्मभूमि आंदोलन ने भाजपा को एक प्रमुख ताकत बनाया, राजनाथ सिंह 2005-2009, 2014-2014 के कार्यकाल में भाजपा ने खुद को एक मजबूत विकल्प के रूप में प्रस्तुत किया। उन्होंने पार्टी को संगठित किया और इसे चुनावी सफलता दिलाने के लिए रणनीतियाँ बनाई। उनके नेतृत्व में पार्टी ने 2014 के आम चुनावों में भारी बहुमत से जीत हासिल की और नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में सरकार बनी। अमित शाह 2014-2020 के नेतृत्व में भाजपा दुनिया की सबसे बड़ी राजनीतिक पार्टी बनी और 2014 और 2019 के चुनाव में अभूतपूर्व चुनावी सफलता प्राप्त की। सारे देश में भाजपा ने अपनी भूमि क्रय करके सभी जिलों में भाजपा की अपनी भूमि पर हाईटेक कार्यालय बने ।जगत प्रकाश नड्डा 2020 में अध्यक्ष बने, उनके नेतृत्व में पार्टी ने कोविड-19 महामारी के दौरान जनसेवा और विभिन्न चुनावों में सफलता के लिए कार्य किया है।
भाजपा के संविधान की धारा 3 के अनुसार एकात्म मानववाद भाजपा का मूल दर्शन है। यह दर्शन मनुष्य के शरीर, मन, बुद्धि और आत्मा का एकात्म यानि समग्र विचार करना सिखाता है। यह दर्शन मनुष्य और समाज के बीच कोई संघर्ष नहीं देखता, बल्कि मनुष्य के स्वाभाविक विकास-क्रम और उसकी चेतना के विस्तार से परिवार, गाँव, राज्य, देश और सृष्टि तक उसकी पूर्णता देखता है। यह दर्शन प्रकृति और मनुष्य में मां का संबंध देखता है, जिसमें प्रकृति को स्वस्थ बनाए रखते हुए अपनी आवश्यकता की चीज़ों का दोहन किया जाता है।
भाजपा का “संगठन पर्व” 2024 एक सफल अभियान होने की पूरी संभावना है। पार्टी के नेताओं विशेष रूप से जेपी नड्डा और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस अभियान को केवल संख्या बढ़ाने का प्रयास नहीं बल्कि एक वैचारिक और भावनात्मक आंदोलन के रूप में प्रस्तुत किया है। भाजपा के पास पहले से ही 18 करोड़ से अधिक सदस्यों के साथ एक विशाल नेटवर्क है, और नड्डा ने विश्वास व्यक्त किया है कि इस अभियान में सदस्यता संख्या 10 करोड़ से अधिक हो जाएगी। इस अभियान का उद्देश्य न केवल पार्टी का विस्तार करना है, बल्कि इसके वैचारिक आधार को और मजबूत करना भी है, जिसमें महिलाओं के लिए 33 प्रतिशत आरक्षण को बढ़ावा देने जैसे महत्वपूर्ण मुद्दे शामिल हैं। भाजपा के नेताओं का दृढ़ विश्वास और पार्टी के समर्पित कार्यकर्ताओं की व्यापक भागीदारी को देखते हुए, “संगठन पर्व” 2024 के सफल होने की संभावना अधिक है।
लेखक भारतीय जनता पार्टी के प्रबुद्ध प्रकोष्ठ के संयोजक हैं।